रायपुर। गणेश विसर्जन का समय नजदीक आ गया है। 17 सितंबर से विसर्जन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने मूर्ति विसर्जन को लेकर दिशा- निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि नगरीय निकाय क्षेत्रांतर्गत मूर्ति विसर्जन से जल स्त्रोतो की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इससे न केवल जलीय जीव-जंतुओं की जान को खतरा उत्पन्न होता है, बल्कि जल प्रदूषण की स्थिति भी उत्पन्न होती है। आगामी गणेश उत्सव और दुर्गोत्सव पर्व पर जल स्त्रोतो को प्रदूषण से बचाने के लिए मूर्ति विसर्जन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जारी संशोधित गाईड लाईन जारी की है।
कैसे होगा मूर्तियों का विजर्सन
नदी और तालाब में विसर्जन के लिए विसर्जन पांड, बंड, अस्थाई पांड का निर्माण कर मूर्ति और पूजा सामग्री जैसे फूल, वस्त्र, कागज और प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुएं मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर ली जाए। इसका अपवहन उचित तरीके से किया जाना है। जिससे नदी या तालाब में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सकें। सभी प्रमुख शहरों में अलग से आवश्यक सुविधा के साथ विसर्जन पांड, पहुंच मार्ग सहित बनाने के लिए पूर्व से ही निर्देश दिए गए हैं, जिन्हे मान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार पूर्ण किया जाना है।
विसर्जन के बाद वेस्ट मटेरियल, पूजा सामग्री, फूल कपड़े, प्लास्टिक पेपर, आदि को सुरक्षित एकत्र कर पुर्नउपयोग और कम्पोस्टिंग आदि में किया जा सकता है।वेस्ट मटेरियल विसर्जन स्थल पर जलाना प्रतिबंधित है।